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Writer's picturegunjan Rajput

ज़िन्दगी अनमोल है

आज राजीव का दिल चाह रहा था कि इस बेबस-बेचारगी से भरी जिंदगी को खत्म कर दे। कई दिनों से उसके साथ कुछ अच्छा नहीं चल रहा था। ऑफिस में बॉस कुछ दिनों से किसी न किसी बात पर राजीव के ऊपर नाराज़ हो रहे थे। राजीव जानता था कि उसका काम में ध्यान नहीं लग पा रहा है। वो हर काम में पूरा ध्यान लगाने की कोशिश करता लेकिन मानो दिमाग के अंदर बैठा कोई शैतान उसे काम करने ही नहीं देना चाहता था। ऊपर से उसकी प्रेमिका सावी के साथ रोज़ के बढ़ते झगड़ों की वजह से भी वो थोड़ा चिड़चिड़ा हो गया था। वो पहले ऐसे स्वभाव का नहीं था लेकिन पिछले साल जब उसने अपने हाथों से अपनी माँ का अंतिम संस्कार किया तब से राजीव खुद को बहुत अकेला महसूस करने लगा। अपना दुःख किसी को बता नहीं पाता, किसी के सामने आँखें गीली हो जाएँ तो "कुछ चला गया है" कहकर रूमाल के कोने से चुपके से आँखें पोंछ लेता। और इस अकेलेपन में उसे पता ही नहीं चला कि हमेशा खुश रहने वाले राजीव ने कब उसके अंदर दम तोड़ दिया और अब एक निराश, उदास और चिड़चिड़ा राजीव उसके अंदर था जो हर दिन नए संघर्ष कर रहा था। आज ऑफिस से आते समय घर से कुछ किलोमीटर दूर ही कैब से उतर गया। और अपने ख्यालों की दुनिया में खोए-खोए लड़खड़ाते पैरों से एक सुनसान रास्ते पर चलने लगा। दिमाग पर आज ज़िन्दगी खत्म करने की ज़िद सवार थी। चलते-चलते वो रेलवे लाइन के पास पहुँच गया। कुछ देर वहीं एक खंभे के पास खड़ा रहा और आती जाती ट्रेनों को देखता रहा। हर ट्रेन को देखकर बस यही सोच रहा था कि आज इस ज़िन्दगी से छुटकारा मिल जाएगा। सावी का बार-बार फ़ोन आ रहा था पर राजीव ने कोई ध्यान नहीं दिया। थोड़ी देर बाद दूर से ट्रेन के आने की आवाज़ सुन राजीव धीरे-धीरे रेलवे लाइन के पास आने लगा अब आती हुई ट्रेन दिखाई देने लगी थी राजीव अब बस कुछ कदमों की दूरी पर था। राजीव हर कदम को आगे बढ़ाते हुए ऐसा महसूस कर रहा था जैसे वो हर कदम पर अपनी परेशानियों को पीछे छोड़ रहा हो। अचानक राजीव के कानों में एक लड़की के ज़ोर-ज़ोर से हँसने की आवाज़ पड़ी। न चाहते हुए भी वो पीछे देखने मुड़ा तो उसने देखा कि वो लड़की उसी की तरफ हाथ से कुछ इशारा करते हुए हँस रही है। उसे कुछ अजीब लगा। एक नाराज़गी से भरी नज़र उसने उस लड़की पर डाली और फिर आती हुई ट्रेन को देखा ट्रेन अब भी थोड़ी दूर थी। ट्रेन की आवाज़ अब बहुत तेज़ हो गई थी पर राजीव के कानों में तो बस उस लड़की के हँसने की आवाज़ चुभ रही थी। उसे लग रहा था जैसे वो लड़की उसका मजाक उड़ा रही हो। उसने कोशिश की उस लड़की को पहचानने की पर उसे ऐसा कुछ याद नहीं आया कि वो पहले इस लड़की से मिला हो। राजीव को ऐसे देखते हुए वो लड़की हँसते हुए उसके पास आने लगी। जैसे- जैसे लड़की पास आ रही थी उसकी हँसी पर राजीव की झुंझलाहट बढ़ती जा रही थी। वो लड़की उसके पास आ गई और अपनी हँसी पर काबू करते हुए बोली क्या हुआ ??? रास्ता क्यूँ बदल लिया जनाब??? ज़िन्दगी से छुटकारा लेने जा रहे थे न। अब क्या हुआ क्यूँ पीछे पलट आए। राजीव उसकी बात सुनकर थोड़ा हैरान हो गया - "तुम्हें किसने कहा कि मैं ज़िन्दगी खत्म करने जा रहा हूँ" लड़की थोड़ी संजीदगी से बोली- अरे तुम्हारी तरह कई लोगों को देखा है। पहले खुशनुमा ज़िन्दगी की दुआएं पढ़ते हैं। ज़िन्दगी के लिए बड़े-बड़े सपने देखते हैं और फिर.... राजीव उसकी बात ध्यान से सुन रहा था उसे चुप होता देख तुरंत बोला- फिर....क्या फिर लड़की बोली- फिर जब उन सपनों को जीने के लिए, पूरा करने के लिए रास्ते में कुछ चुनौतियों को देखते हैं तो चुनौतियों से लड़ने की बजाय ज़िन्दगी में उल्टी दिशा में दौड़ने लगते हैं बिल्कुल तुम्हारी तरह। राजीव बोला- ये चुनोतियों से लड़ने की बात कह देना बहुत आसान होता है मिस। कभी तुम्हारे सामने ऐसी परेशानियाँ आएँगी तब तुमसे पूछूँगा। ऐसा कभी नहीं होगा। मुझे जिन परिस्थितियों का सामना करना था मैं कर चुकी अब ऐसी कोई परिस्थिति नहीं आ सकती जिसकी वजह से मैं ये करने का सोचूँ। लड़की ने ट्रेन को देखते हुए बहुत ठंडे लहजे में कहा। ट्रेन अब बिल्कुल करीब आ चुकी थी। और राजीव बस कुछ कदम दूर था। लेकिन राजीव को अब अपनी ज़िंदगी खत्म करने की इतनी जल्दी नहीं थी। वो पहले लड़की की बात सुनना चाहता था। राजीव पूछ बैठा अच्छा क्या हुआ था तुम्हारे साथ??? लड़की ने अपने हाथों पर, पैरों पर और गर्दन पर कुछ निशान दिखाए। राजीव का दिल उन्हें देखकर काँप गया। उन निशानों को देखकर ऐसा लगा जैसे किसी ने कई दिनों तक उसे मजबूत रस्सियों से बाँधकर रखा हो पूरे शरीर पर नीले-नीले निशान जैसे किसी ने लोहे की छड़ी से उस लड़की पर अपनी ताकत आजमाई हो। राजीव उन्हें देखकर कुछ न कह सका और कुछ देर दोनों जाती हुई ट्रेन देखते रहे। राजीव जिस ट्रेन के नीचे अपनी ज़िंदगी खत्म करने वाला था वो ट्रेन जा चुकी थी। और राजीव के दिमाग में अपनी ज़िंदगी की जगह उस लड़की की परेशानियों के ख्याल आ रहे थे। राजीव उसके दर्द को महसूस कर रहा था। उसने वहीं अंधेरे में देखते हुए कहा- तुमने सच में शायद बहुत ही ज्यादा दुःख देखे हैं। बहुत पीड़ा सही है। राजीव की आँखों में छिपे प्रश्न लड़की ने देख लिए कि वो पूछना चाहता है ऐसी परिस्थिति में उसने क्या किया। वो बताने लगी कि एक दिन अचानक वो वहाँ से भाग निकली जहाँ उसे कैद किया हुआ था और ये सुलूक हो रहा था। राजीव ने पूछा फिर??? क्या तुम्हारा किसी ने पीछा नहीं किया??? लड़की- मुझे भागते हुए देखकर मेरे पीछे तीन लोग और भागे मैंने बहुत कोशिश की उनसे तेज़ भागने की या कहीं छिपने की पर मेरे शरीर में इतनी ताकत नहीं थी। मैं भागते-भागते यहीं आ गई। राजीव ने झट से पूछा- फिर??? क्या फिर वो लोग चले गए? लड़की ने हाथ से उस जाती हुई ट्रेन के धुँए की तरफ इशारा करते हुए बहुत ही ठंडे लहजे में कहा-मुझे कोई रास्ता नहीं मिला तो मैंने उस ट्रेन के आगे कूदकर खुद को उन दानवों से बचाया। लड़का उसी धुँए में देखता रहा उसकी हिम्मत नहीं हुई अपनी गर्दन घुमाकर उस लड़की को देखने की। उसे समझ आ गया कि उन दानवों से बचने के लिए इस लड़की ने अपनी ज़िंदगी खत्म कर दी। राजीव कुछ देर तक उस लड़की के बारे में सोचता रहा और फिर अपना इरादा वहीं छोड़कर उसी दिशा में देखते हुए जहाँ वो पिछले आधे घंटे से देख रहा था खड़ा हुआ और अपने घर की तरफ चलने लगा। एक बार फिर उसे उस लड़की के हँसने की आवाज़ आई पर इस बार राजीव उसकी हँसी सुनकर चिड़चिड़ाया नहीं। शांत भाव से उस ओर देखा तो वो लड़की चुप होती हुई बोली- राजीव ज़िन्दगी इतनी सस्ती नहीं कि जब चाहा इसका दाम लगा दिया। ज़िन्दगी मिली है इसकी इज़्ज़त करो। मेरे साथ जो हुआ सो हुआ। मैं ज़िन्दगी से हार चुकी थी। उन दानवों का सामना करने की हिम्मत नहीं हुई और ट्रेन के आगे छलांग लगा दी। उस दिन से लेकर आज तक जाने कितने लोगों को इसी इरादे से यहाँ आते हुए देखती हूँ। हर किसी को रोकने की कोशिश भी करती हूँ कुछ तुम्हारी तरह रुक जाते हैं। ज़िंदगी को एक और मौका देने का सोच वापस लौट जाते हैं। और कुछ मेरी तरह भी होते हैं जो सिर्फ मौत को ही अपने दुःखों का हल समझते हैं। गुड़ बाय राजीव। मेरी बातों को ध्यान में रखना। ये कहते हुए वो लड़की पीछे की ओर जाने लगी। राजीव उसे देखता रहा और मन ही मन उसकी हालत पर दुःख करता रहा और उसकी जिंदगी बचाने के लिए धन्यवाद देता रहा। कुछ देर बाद लड़की का साया गायब हो गया। राजीव समझ गया कि ज़िन्दगी वाकई अनमोल है।

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